The smart Trick of sidh kunjika That No One is Discussing
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
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श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
धां check here धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।
छठ की व्यापकता में पोखर तालाब से टूटता नाता
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।